Friday, February 11, 2011

हम कवियों और उपन्यासकारों की भर्ती नहीं करते........

हम कवियों और उपन्यासकारों की भर्ती नहीं करते........यह वक्तव्य हिंदी के साक्षात्कार पैनेल में बैठे एक महत्वपूर्ण सदस्य का है . ग़ज़ब की बात है की कला, संगीत जैसी विधाओं में उनके चित्रों ,नृत्य, गीतों की प्रस्तुती पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है , विज्ञानं में भी प्रयोगों पर सबसे अधिक बल रहता है और इसीलिए वे शोध पत्रों पर जोर देते है . किन्तु हिंदी विभाग में कविता, कहानी, उपन्यास निबंधो की ऐसी बेकद्री की जाती है . जबकि वे खुद उन्ही कविता, कहानी, उपन्यासकारो को पढ़ते और पढ़ाते है . क्या वे कभी सोचते है , जिस हिंदी को वो पढ़ा रहे है उसमे खुद उनका कितना योगदान है. उन्होंने हिंदी के पाठको के लिए क्या एक भी महान रचना लिखी है? ताकि हिंदी विभाग से जाने के बाद भी उन्हें कोई याद रख सके .