बापू तेरा राम राज्य गुमनाम कर दिया लोगों ने,
राजघाट के वादों को बदनाम कर दिया लोगों ने,
सत्ता के सौदागर बापू नित नाम तुम्हारा लेते है,
बापू तेरा नाम बेच ये सिंघासन पर सोते हैं,
व्यर्थ बन गई सत्य अहिंसा भूल चुके हैं नैतिकता,
बचन कर्म में मेल नहीं नित बीज द्वेष का बोते हैं,
देश प्रेम को ताख पे रख कुहराम कर दिया लोगों ने,
अत्याचार हरिजनों पर भी आज निरंतर होते हैं,
अगड़ित घर और अगड़ित जीवन दंगों में स्वाहा होते हैं,
जाति युद्ध भड़काए जाते वोट प्राप्ति की आशा में,
तीस कोटि जन आधा खाते दवा को रोगी रोते हैं,
राजनीति खटमली स्वार्थ सरनाम कर दिया लोगों ने,
शोषण भ्रस्टाचार भतीजावाद लूट का दौर गरम,
बापू इस आजाद देश में बची नहीं है कहीं शरम,
अगर यही रफ़्तार रही फिर भला देश का राम करे,
लेना होगा जन्म कृष्ण को या दिव्य मूर्ति गौतम,
लोकतंत्र का यह कैसा अंजाम कर दिया लोगों ने.
साभार- ठाकुर इन्द्रदेव सिंह " इन्द्र कवि"
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