Friday, January 15, 2010

भिखारी ठाकुर : एक परिचय

लोक कलाकार भिखारी ठाकुर सन १८८७- १९७१ ई. भोजपुरी के समर्थ लोक कलाकार , रंगकर्मी लोक जागरण के सन्देश वाहक , नारी विमर्श एवं दलित विमर्श के उद्घोषक , लोक गीत तथा भजन कीर्तन के अनन्य साधक थे . भिखारी ठाकुर बहु आयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे .वे एक ही साथ कवि, गीतकार, नाटककार, नाट्य निर्देशक , लोक संगीतकार और अभिनेता थे. भिखारी ठाकुर की मत्रेभाषा भोजपुरी थी . उन्होंने भोजपुरी को ही अपने काव्य और नाटक की भाषा बनाया . उनका संछिप्त परिचय इस प्रकार है
जन्म- १८ दिसम्बर , १८८७
जन्म स्थान- कुतुबपुर सारण बिहार
पिता- दलसिंगार ठाकुर
माता- शिवकली देवी
शिक्षा- स्वाध्याय
निधन- १० जुलाई १९७१
रचनाये- लोकनाटक: बिदेसिया, बहरा बहार, भाई-विरोध, बेटी-वियोग, विधवा-विलाप, कलियुग-प्रेम, राधेश्याम-बहार, गंगा स्नान, पुत्र-वध, गबरघिचोर, बिरहा-बहार, नक़ल भांड अ नेटुआ के , ननद भौजाई
अन्य: शिव विवाह, भजन कीर्तन:राम, रामलीला गान, भजन कीर्तन:कृष्ण, माता भक्ति, आरती, बुढशाला के बयाँ, चौवर्ण पदवी, नाइ बहार, शंका समाधान, विविध .

1 comment:

www.kavita-ratnakar.blogspot.com said...

बहुत ही सुंदर बात आपने कही है