Saturday, July 30, 2011
आज का सच
सबके अपने अपने दुःख है, उसी में गुम सब अपने आप को महान समझते है. कभी ये नहीं सोचते की उन्होंने भी कभी किसी का हक मारा होगा तभी आज कोई और उनका हिस्सा खा गया. लूट तो हर तरफ मची ही है. कहीं आरक्षण के नाम पर लूट तो कही आरक्षण के विरोध में लूट .सवर्ण अपने होनहारों की पीठ तो थपथपाते है पर अवर्णों की पीठ थपथपाना भूल जाते है. ये महान शिक्षक हमारी पीढ़ी का मार्गदर्शन करने वाले द्रोणाचार्य की तरह न अंगूठा काटते है और न उसकी खबर बनने देते है बल्की पूरे के पूरे एकलव्य को गटक जाते है. प्रतिभा के नाम पर इन्हें बस सवर्ण स्टुडेंट दिखाई देता है, बाकी सब इनके लिए नक़ल करने वाले बेवकूफ होते है. अब ऐसे शिक्षकों को आप क्या उपाधि दे सकते है जो सफलता के पैरामीटर भी खुद ही तय करते है और घोड़े पर जीन भी खुद ही कसते है. यह सुखद आश्चर्य ही कहा जा सकता हा ये सारे प्रतिभावान घोड़े सवर्ण होते है. हो सकता है ये बाते जातिवादी लगे पर यही आज का सच है.
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