Wednesday, August 17, 2011
अन्ना, भ्रस्टाचार और हम
आँख मीच कर अन्ना का समर्थन करने वालों की एक लम्बी फौज खड़ी हो गयी है.उनमे से कितनों को तो मालूम भी नहीं की अन्ना जिस लोकपाल बिल की बात कर रहे है वह आखिर है क्या? उस लोकपाल बिल में क्या पूरे समाज में फैले करप्शन की बात की जा रही है? अगर आप को थोड़ी भी जानकारी हो तो यह बिल केवल हमारी सरकार में बैठे ३-४ प्रतिशत अधिकारियों और कर्मचारियों पर शिकंजा कसता है. अन्ना के समर्थन में जुटे हजारों लोगों ने क्या अपने आप से कभी पूछा है की उन्होंने अपने जीवन में कितने भ्रष्ट काम किये है? जो लोग आज सड़कों पर अन्ना के समर्थन में उतरे है, और अपना अपना काम छोड़ के उतरे है क्या अपने काम को छोड़ कर हंगामा काटना भ्रस्टाचार नहीं है? भ्रस्टाचार के अनेक रूप है और वो हम सब के भीतर है. आर्थिक भ्रस्टाचार के अतिरिक्त सामाजिक भ्रस्टाचार भी बड़ी समस्या है, हम उसे क्यों भूल जाते है.अगर आप भ्रस्टाचार ख़त्म करना चाहते है तो पहले खुद के भीतर झांकिए. जिन शार्टकट्स का इस्तेमाल कर हम आगे बढ़ने की ख्वाहिश रखते है क्या यह ख्वाहिश इस भ्रष्ट तंत्र को और मज़बूत नहीं करती. जहाँ तक अन्ना का सवाल है, अन्ना ने अपने जीवन में काफी कुछ अच्छे काम किये है, लेकिन इसके पीछे निस्वार्थ भावना के बीच कहीं न कहीं लोकप्रियता का मज़बूत तंतु उन्हें बांधे हुए है.
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1 comment:
सुन्दर आलेख .
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