Tuesday, December 7, 2010

कुर्तुल-एन-हैदर


कुर्तुल
तुम्हारी कहानियों से गुजरना
गुजरना है उन राहों से
जिनसे तुम गुजरी होगी
तुम्हारे सवाल
कितने सहज है आज भी,
लड़कियाँ,
दूसरों के लिए
चाहे गहरी सुरंगे हों,
पर तुम
उनके सारे अन्तर्विरोधों
उनके भोलेपन की
गवाह हो.
तुम्हारी हर कहानी में
एक बला की खूबसूरत
और जहीन
लड़की होती है,
अपने ख़यालों में डूबी
दुनिया को तोलती
खटमिट्ठे अनुभवों से
खेलती
खुद की जिंदगी
सवालों के घेरों में
क़ैद,
फिर भी
अपने आज़ाद ज़ेहन में
यहीं कहीं
मेरे आसपास
घूमती.


यह कविता कुर्तुल-एन-हैदर की साहित्य अकादमी से प्रकाशित कहानी संग्रह "पतझर की आवाज़" से चंद कहानियाँ पढ़ने के दौरान अनायास रच गई.

2 comments:

www.ratnakarart.blogspot.com said...

लिखना आता हो तो विचार जुड़ते जाते हैं .
विचार हो तो कथा,कविता,कहानी व् चित्र तो बन ही जाते हैं,
सुंदर रचना के लिए बधाई.

destiny said...

Good