Saturday, September 24, 2011

अभिलाषाएं- ३


सोना

मै न तिजोरी में रहूँ छांह न धरती की गहुँ,
खोटे खरे स्वाभाव की बात कसौटी से कहूँ,
आये समय कभी संकट का देश पे मुझको वार दे,
ऐसा जेवर मुझे बनाना सोना कहे सोनार से.

साभार- ठाकुर इन्द्रदेव सिंह " इन्द्र कवि"

No comments: