Saturday, September 24, 2011

अभिलाषाएं- २


लोहा

रक्त रंजित तलवार हो या विष बुझी कटार हो,
दुश्मन के ही खून से इस तन का श्रृंगार हो,
पानी वाले पानी मांगे मेरी पैनी धार से,
ऐसा पानीदार बनाना लोहा कहे लोहार से.

साभार- ठाकुर इन्द्रदेव सिंह " इन्द्र कवि"

No comments: