समय साक्षी
Saturday, September 24, 2011
अभिलाषाएं-६
उपवन
चलें वहीँ पर घुमने देश प्रेम में झुमने,
श्रद्धा से जिस धुल को आते हों सब चूमने,
जहाँ गा रही हों समाधियाँ बलिदानों के गीत को,
वहीँ हमारे फूल चढ़ाना उपवन कहे बहार से.
साभार- ठाकुर इन्द्रदेव सिंह " इन्द्र कवि"
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