Thursday, August 4, 2011

मीडिया की विदेश नीति



पिछले दिनों जब पाकिस्तान की युवा विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार भारत आईं तो उनके ड्रेसिंग सेन्स और एक्सेसरीज की चर्चा भारतीय मीडिया में खूब रही. अमेरिका
से जब हिलेरी क्लिंटन आतीं है तो उनकी एक्सेसरीज और ड्रेसिंग सेन्स भी लाजवाब होती है. उनकी फोटो भी टेलीविजन और समाचार पत्रों में खूब फ्लैश होती है मगर खबर के केंद्र में उनकी एक्सेसरीज या लुक कभी नहीं आता उनकी बात सुनी जाती है और मीडिया उनके द्वारा उठाये गए मुद्दों को हाईलाईट करता है. इसी बात का एक तीसरा पहलु अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा के साथ जुड़ता है. राजनीतिक गलियारों में बराक को जीतना महत्व दिया जाता है फैशन के गलियारों में मिशेल की उतनी ही तारीफ़ छपती है. अमेरिका का मीडिया मैनेजमेंट हमेशा ' टू दी प्वोइंट' चलता है. वो जिस चीज पर चाहते है मीडिया को उसी पर फोकस करना पड़ता है.
मीडिया का यह का दोगलापन उसके आकाओं की अमरीकापरस्ती का परिणाम है. भारत और पाकिस्तान के रिश्तो में मिठास आये ये अमेरिका चाहता ही नहीं इसलिये मीडिया उसी नीति पर काम करता है जो अमेरिका चाहता है. मीडिया को खबर चाहिए और दोस्ती की ख़बरों से दुश्मनी की ख़बरों में चटखारे लेने की गुंजाइश हमेशा से ही ज्यादा रही है.
इसलिए हिना रब्बानी खार जाते जाते मीडिया से यह नाराजगी जतातीं हैं कि वे फैशन आइकन के तौर पर नहीं बल्कि विदेश मंत्री के तौर पर मीडिया में फोकस कीं गयी होतीं तो उन्हें ज़्यादा अच्छा लगता वाजिब है. पर क्या करें, हिना जी मीडिया के अपने संकट हैं, उनके आकाओं के आका कहीं और बैठे हुए हैं.

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