Sunday, August 14, 2011

सरकार के मसखरे


आजकल सरकार में बहुत से मसखरे आ गए है, मुद्दा चाहे कितना भी गंभीर हो ये अपने मसखरेपन से उससे निपट ही लेते है. टेलीविजन पर चमकने वाले ये चमकदार चेहरे कांग्रेस के पसंदीदा नुमाईंदे है. हालाँकि ये नुमाइंदे कांग्रेस की लुटिया डूबायेंगे या पार लगायेंगे ये तो जब चुनाव होंगे तभी पता लगेगा. फिलहाल अन्ना के खिलाफ अंट शंट बोल रहे इन नेताओं की अक्ल पर यह सोच के तरस आता है के कल कहीं अन्ना की लड़ाई में पूरा देश शामिल हो गया तो ये कहा जायेंगे. खैर तब तक तो ये मलाई के मंत्रालयों में अपने हिस्से की मलाई काट ही रहे है, फिर कांग्रेस कहीं जाये और देश कहीं इन्हें भला इसकी चिंता क्यों सताने लगी.
खैर जिस बेशर्मी के साथ ये मसखरे एक बूढ़े आन्दोलनकारी पर हँसते है मीडिया के सामने उनका मजाक बनाने की कोशिश करते है वह किसी सभ्य देश के आम नागरिक का काम तो कम से कम नहीं कहा जा सकता. किसी भी आन्दोलन को ख़त्म करने के लिए एक ही तरह की चाल बार बार चल रही कांग्रेस सरकार जिस दमनकारी नीति का पालन कर रही है, और आन्दोलन खड़े करने वालों पर जिस तरह के आरोप मढ़ रही है वह उसके मसखरों की कुटिलता का ही एक छोटा सा नमूना है.

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